Class 10 Hindi Chapter 4 Do Gazal Question Answer Maharashtra Board

Std 10 Hindi Chapter 4 Do Gazal Question Answer Maharashtra Board

Balbharti Maharashtra State Board Class 10 Hindi Solutions Hindi Lokvani Chapter 4 दो गजलें Notes, Textbook Exercise Important Questions and Answers.

Hindi Lokvani 10th Digest Chapter 4 दो गजलें Questions And Answers

Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 4 दो गजलें Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय :

सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

1. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-1

उत्तर:
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-2

2. संजाल पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-3
उत्तर:
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-4

3. कृति में दिए गज़ल में प्रयुक्त शब्दों की उचित जोड़ियाँ क्रमशः अ और आ तालिका में लिखिए।

प्रश्न 1.
कृति में दिए गज़ल में प्रयुक्त शब्दों की उचित जोड़ियाँ क्रमशः अ और आ तालिका में लिखिए।
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-5
उत्तर:

छाँव उम्मीद
अनुभव ज्ञान
पर उड़ान
जान जिंदगानी

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4. उचित शब्द का चयन करते हुए वाक्य पूर्ण कीजिए।
(मिट्टी, कैद, बंदी, रिहा, छूटना)

प्रश्न 1.
उचित शब्द का चयन करते हुए वाक्य पूर्ण कीजिए।
(मिट्टी, कैद, बंदी, रिहा, छूटना)
i. अजब ये जिंदगी की ……….. है।
ii. रिहाई माँगता है और ……….. होने से डरता है।
उत्तर:
i. कैद
ii. रिहा

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5. सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए।

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए।
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-6
उत्तर:
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-7

6. ‘जीवन में डर की जगह सावधानी एवं साहस चाहिए।’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

प्रश्न 1.
‘जीवन में डर की जगह सावधानी एवं साहस चाहिए।’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
डर वह भावना है; जो इंसान को कमजोर बना देती है और साहस वह भावना होती है; जो इंसान के हौसलों में उड़ान पैदा करती है। व्यक्ति को अपने जीवन में डर का त्याग कर साहस और सावधानी को अपनाना चाहिए। उसे प्रत्येक काम साहस के साथ सावधानीपूर्वक करना चाहिए। सावधानी बरतने से व्यक्ति के सारे काम सुचारू रूप से पूर्ण होते हैं। साहस असंभव कार्य को भी संभव बनाने की शक्ति रखता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में साहस को नहीं अपनाता है: वह व्यक्ति कभी भी सफल नहीं होता। जीवन में कई सफल व्यक्ति हैं, जिन्होंने डर की जगह सावधानी एवं साहस को अपनाकर संसार में अद्भुत कार्य करके सभी को अपने प्रभावी व्यक्तित्व से प्रेरित किया।

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भाषा बिंदु :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के रचना के अनुसार भेद लिखिए।

  1. वह आदमी भी उस गाँव में रहने के लिए तैयार हो गया। [ ]
  2. स्टेशन मास्टर ने सिग्नल नहीं दिया और गाड़ी आउटर पर खड़ी रही। [ ]
  3. मजे की बात यह है कि एक समाचारपत्र के कितने उपयोग हो सकते हैं। [ ]
  4. वह पशु-पक्षियों के बीच बातें करता दिखाई देता। [ ]
  5. आप उस गाँव में जाएंगे तो आपको उस खोए हुए आदमी की वहाँ स्थापित मूर्ति दिख जाएगी। [ ]
  6. नींद आती रहती है, जाती रहती है और रह-रहकर टूटने के बावजूद उसमें लय बनी होती है। [ ]

उत्तर:

  1. सरल वाक्य
  2. संयुक्त वाक्य
  3. मिश्र वाक्य
  4. सरल वाक्य
  5. मित्र वाक्य
  6. संयुक्त वाक्य

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प्रश्न 2.
पाठों में आए रचना के अनुसार वाक्यों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तरः
1. सरल वाक्य :
i. इससे मेरा भी मन बड़ा दुखी होता है।
ii. मैंने सबकी बात सुनी है।

2. मिश्र वाक्य :
i. जैसी करनी वैसी भरनी।
ii. हमें चाहिए कि हम हवा और पानी को अपना दोस्त बनाकर उन्हें नुकसान न पहुँचाएँ।

3. संयुक्त वाक्य :
i. सोना तो मिट्टी है और मिट्टी का मोह पालकर आज तक किसी ने शांति नहीं पाई।
ii. लोग उसके दर्शन को आने लगे और धीरे-धीरे चारोंतरफ साधु का यश फैल गया।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों के अर्थ के अनुसार भेद लिखिए।

  1. सुबह उठता हूँ तो थोड़ी ताजगी महसूस होती है। [ ]
  2. अरे, वहीं अटके रहोगे, मुझसे बात नहीं करोगे? [ ]
  3. कई दिनों तक मैं तुम्हारे चौके में नहीं गई। [ ]
  4. ठीक है, मुकदमें की कार्यवाही शुरू करें। [ ]
  5. अरे! हवा रानी, नाराज मत हो। [ ]
  6. इस बात के लिए ये गाँववाले ही जिम्मेदार हैं। [ ]
  7. अधिक वर्षा के लिए कौन जिम्मेदार है? [ ]
  8. अच्छा! निकलती हूँ बस पाँच मिनट चाहिए मुझे तैयार होने के लिए। [ ]
  9. हौं राजीव, आओ बैठो।
  10. यह एक भोले इंसान का विश्वास नहीं था।

उत्तर:

  1. विधानार्थक वाक्य
  2. प्रश्नार्थक वाक्य
  3. निषेधार्थक वाक्य
  4. आज्ञार्थक वाक्य
  5. आज्ञार्थक वाक्य
  6. विधानार्थक वाक्य
  7. प्रश्नार्थक वाक्य
  8. विस्मयादिबोधक वाक्य
  9. आज्ञार्थक वाक्य
  10. निषेधार्थक वाक्य

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प्रश्न 4.
पाठों में आए अर्थ के अनुसार वाक्यों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तरः
1. विधानार्थक वाक्य :
i. मैं तेजी से वहाँ जाती हूँ।
ii. महाराज यह आरोप झूठा है।

2. आज्ञार्थक वाक्य :
i. पहले पानी को बुलाया जाए।
ii. सेठ मेरा इनाम दें।

3. निषेधार्थक वाक्य :
i. कहीं भी कोई नहीं था।
ii. उसमें भी मेरा कुछ नहीं है।

4. प्रश्नार्थक वाक्य :
i. तू कौन है?
ii. उसकी माया में मुझे क्यों फँसाता है?

5. विस्मयादिबोधक वाक्य :
i. काश, अपने गाँव-शहर में हमें भी ऐसा ‘खोया हुआ आदमी’ मिल जाता!
ii. हाँ महाराज! आज सब शिकायतें हवा और पानी के बारे में हैं।

6. संदेहसूचक वाक्य :
i. शायद मैं खो गया हूँ।
ii. संभव है कि पानी दूषित होने से बच जाए।

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उपयोजित लेखन :

प्रश्न 1.
अपने विद्यालय में आयोजित की जानेवाली क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का आयोजक के नाते विज्ञापन तैयार कीजिए।
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-8
उत्तरः
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-9

Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 4 दो गजलें Additional Important Questions and Answers

(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति अ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-10

प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त प्राकृतिक घटकों के नाम
उत्तरः
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-11

कृति अ (2) : शब्दसंपदा

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।

  1. आसमान
  2. पर
  3. इतमीनान
  4. सोच

उत्तरः

  1. अंबर
  2. पंख
  3. तसल्ली
  4. विचार

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प्रश्न 2.
पद्यांश में प्रयुक्त ऐसे दो शब्द लिखिए जिनके वचन परिवर्तित नहीं होते हैं।
उत्तर:
i. पेड़
ii. पर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. हवा में उड़ने की क्रिया
उत्तरः
i. उड़ान

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेक अर्थ लिखिए।
i. फल
ii. पर
उत्तर:
i. फल : खाने का फल, परिणाम
ii. पर : परंतु, पंख

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कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक होता है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
जीवन-रूपी यात्रा में सीखने के लिए कोई किताब साथ नहीं होती। व्यक्ति अपने अनुभवों से ही सीखता है। व्यक्ति जीवन में कार्य करते समय कई गलतियाँ करता रहता है। उन गलतियों से उसका अनुभव समृद्ध हो जाता है। वह फिर से उन गलतियों को नहीं दोहराता। वह अपनी गलतियों से बहत सारी बातें सीखता है और स्वयं के अनुभव को समृद्ध बनाता है। अनुभव सोने के समान होता है।

जिस प्रकार सोना तप-तप कर तैयार हो जाता है उसी प्रकार अनुभव दिन-रात की मेहनत एवं लगन से प्राप्त किया जाता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाले अच्छे-बुरे अनुभव उसके मार्गदर्शक बनते हैं। अनुभव से मिलने वाला ज्ञान व्यक्ति को सफलता के शिखर पर पहुँचा देता है। अनुभवहीन ज्ञान जीवन की सच्चाई के सामने टिक नहीं पाते। अत: अनुभव ही सबसे बड़ा शिक्षक होता है।

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति आ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-12

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
Maharashtra-Board-Class-10-Hindi-Lokvani-Solutions-Chapter-4-दो-गजलें-13

प्रश्न 3.
निम्नलिखित गलत विधान सही करके लिखिए।
i. प्रकृति ने हमें जिंदगी बख्शी है।
उत्तरः
ईश्वर ने हमें जिंदगी बख्शी है।

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ii. ईश्वर सायबान निर्माण करेगा।
उत्तर:
इंसान सायबान निर्माण करेगा।

कृति आ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
कविता में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।

  1. संसार
  2. स्वयं
  3. आशा
  4. ईश्वर

उत्तर:

  1. दुनिया
  2. खुद
  3. उम्मीद
  4. खुदा

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. छाया
उत्तर:
i. छाँव

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. घर के आगे छाया हेतु बनाया गया छप्पर
उत्तर:
i. सायबान

कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘व्यक्ति को जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसे दूसरों से मदद की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
आत्मनिर्भर यानी स्वावलंबी। व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसे दूसरों पर आश्रित नहीं होना चाहिए। यदि व्यक्ति अपने जीवन में दूसरों पर आश्रित रहता है, तो वह तरक्की नहीं कर सकता है। आत्मनिर्भर बनने के लिए व्यक्ति में दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी होता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति सदैव कोशिश करते रहता है। इसलिए वह सफलता की मंजिल हासिल करने में सफल हो जाता है। वह भाग्य के भरोसे नहीं बैठता है। आत्मनिर्भर बनकर वह अपनी क्षमताओं का विकास कर लेता है। अब्राहम लिंकन व नेपोलियन जैसे महापुरुषों का जन्म निर्धन परिवार में हुआ था। उन्होंने जीवन में आत्मनिर्भर बनकर सफलता की सीढ़ी हासिल की। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति इ (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. अजब
ii. रिहाई
उत्तर:
i. जिंदगी की कैद कैसी है?
ii. दुनिया का हर इंसान क्या माँगता है?

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प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर समझकर लिखिए।
i. इंसान के बस और काबू में ये नहीं है –
ii. हर शख्स इसका बना खिलौना है –
उत्तर:
i. इंसान के बस में जिंदगी नहीं है और काबू में मौत नहीं है।
ii. मिट्टी का

कृति इ (2) : शब्द संपदा

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों में उचित उपसर्ग का प्रयोग कीजिए।

  1. मौत
  2. पल
  3. काबू

उत्तर:

  1. बेमौत
  2. हरपल
  3. बेकाबू

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
i. मृदा
उत्तर:
i. मिट्टी

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।

  1. फना
  2. मौत
  3. रिहाई
  4. काबू

उत्तर:

  1. नष्ट
  2. मृत्यु
  3. मुक्ति
  4. नियंत्रण

प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. बड़ा × ……….
i. जिंदगी × ………….
उत्तर:
i. छोटा
ii. मौत

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कृति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
बचपन की दुनिया और बड़ों की दुनिया में क्या अंतर है? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
बचपन की दुनिया में मासूमियत होती है और बड़ों की दुनिया मुश्किलों और परेशानियों से भरी होती है। बचपन जीवन की एक ऐसी अवस्था होती है; जहाँ पर जीवन का मस्ती से आनंद लिया जाता है और बड़ों की दुनिया जिम्मेदारियों से भरी होती है। कई लोगों को इस कारण जिंदगी कैद के समान लगती है।

लेकिन बच्चों के लिए जिंदगी खुशियाँ एवं प्यार लेकर आती है। मुस्कुराना, शरारत करना, रूठना और फिर सब भुलाकर एक हो जाना; ये बच्चों की पहचान होती है। वहीं बड़ों के जीवन में ईर्ष्या, द्वेष एवं कलह होता है। बच्चे दुनियादारी के झमेलों से दूर होते हैं, तो बड़ों की दुनिया कई प्रकार के झमेले में उलझती रहती है।

दो गजलें Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय : राजेश रेड्डी जी का जन्म सन १९५२ में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। राजेश जी हिंदी, अंग्रेजी व उर्दू भाषा के ज्ञाता हैं। जगबीती को आपबीती में परिवर्तित कर गज़ल लिखने में रेड्डी जी कुशल माने जाते हैं। ये विविध भारती, मुंबई से भी जुड़े हैं। इन्होंने अपनी प्रतिभा से गज़ल एवं नाटक विधा को समृद्ध किया है।
प्रमुख कृतियाँ : ‘उड़ान’, ‘आसमान से आगे’, ‘वजूद’ (गज़ल संग्रह) आदि।

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पद्य-परिचय :

गज़ल : ‘गज़ल’ यह अरबी साहित्य की प्रसिद्ध काव्य-विधा है। गज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। गज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं।
प्रस्तावना : ‘दो गज़लें’ इस गज़ल में दो गज़लें सम्मिलित की गई हैं। पहले गज़ल से हमें यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति के पास कोई भी कार्य करने से पहले जोश, उत्साह, ज्ञान, आत्मविश्वास आदि का होना जरूरी होता है। दूसरी गज़ल में कवि ने बताया है कि बचपन मासूमियत से भरा होता है। बड़े होने पर परेशानियाँ आती हैं, जिस कारण इंसान अनेक प्रकार की परेशानियों से घिर जाता है।

सारांश :

‘दो गज़लें’ यह एक गज़ल है। इस गज़ल के द्वारा कवि कहता है कि व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपने आप में जोश, उत्साह, आत्मविश्वास आदि का निर्माण करना चाहिए। व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपनी आँखों से जिंदगी को पढ़ लेना चाहिए। खुद के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान के बिना कार्य की पूर्ति नहीं होती। जीवन में संयम व धैर्य का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। कवि मानवतावादी है। अत: वह मानव की भलाई की कामना रखता है।

व्यक्ति को दूसरों से अपेक्षा रखने के बजाय स्वयं आत्मनिर्भर होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसी वाणी में सबके साथ वार्तालाप करना चाहिए कि उसके विचार दूसरों के हृदय में सदा के लिए बस जाए। कवि इस गज़ल के माध्यम से कहता है कि आज का व्यक्ति दुख, तकलीफों और परेशानियों से चारों ओर से घिर चुका है। दुनिया-समाज में पड़कर व्यक्ति की बचपन जैसी मासूमियत खोने लगी है। वह नश्वर है। फिर भी उसकी महत्वाकांक्षा पूरी होती नहीं दिखती। वह अपनी ही जिंदगी में कैद हो गया है। वह मुक्ति भी पाना चाहता है. और इच्छाओं को भी नष्ट करना नहीं चाहता।

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भावार्थ :

पहले इक आसमान …………………… उड़ान पैदा कर।
व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपने आप में जोश, उत्साह व आत्मविश्वास उत्पन्न करना चाहिए। इसलिए कवि कहते हैं कि व्यक्ति को अपने परों में यानी मन में हौसला भरने से पहले आसमान यानी सकारात्मक परिस्थिति उत्पन्न कर लेनी चाहिए। सकारात्मक परिस्थिति व आत्मविश्वास के बिना व्यक्ति सफलता की ऊंची मंजिल हासिल नहीं कर सकता।

अपनी आँखों से ………………. पैदा कर।
व्यक्ति को कोई भी कार्य करने से पहले अपनी आँखों से जिंदगी को पढ़ लेना चाहिए। स्वयं के अनुभवों से प्राप्त ज्ञान के बिना कार्य की पूर्ति नहीं होती। व्यक्ति का अनुभव समृद्ध होना बेहद जरूरी है। अनुभव समृद्ध व्यक्ति के पास ज्ञान का भंडार होता है। अनुभवों के द्वारा ही व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है।

सब के पेड़ ………………… पैदा कर।
जीवन में संयम व धैर्य का बहुत ही महत्त्व होता है। संयम व धैर्य के बिना मनुष्य को मनचाहे फल की प्राप्ति नहीं हो सकती। कहा भी । गया है कि सब्र का फल मीठा होता है। धैर्य और संयम से आज नहीं तो कल सब का फल जरूर मिलता है। इसलिए व्यक्ति की सोच में भी इतमीनान यानी तसल्ली होनी चाहिए। उसे कोई भी कार्य करने से पहले तसल्ली से सोचना चाहिए।

ऐ खुदा! ………………………… पैदा कर।
कवि इंसान का भला चाहता है। वह नहीं चाहता कि इंसान दुख-दर्द में अपना जीवन व्यतीत करे। इंसान के जीवन में खुशहाली आए । इसलिए कवि ईश्वर से ऐसे सुंदर संसार की कामना करता है; जहाँ पर व्यक्ति सुख-चैन के साथ अपना जीवन जी सके।

तूने बख्शी है …………………….. पैदा कर।
कवि मानवतावादी है। अत: वह मानव की भलाई की कामना रखता है। वह ईश्वर से कहता है, “हे ईश्वर, तूने सभी को जिंदगी का । अनमोल उपहार दिया है। अत: तू ही इस जिंदगी में जान भरने का कार्य कर । तू ही लोगों में जिंदादिली निर्माण कर; ताकि लोग इस जिंदगी के सफर का आनंद ले सकें।

छोड़ दुनिया से ………………….. पैदा कर।
व्यक्ति को जीवन में किसी से भी, कोई भी उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। व्यक्ति को दूसरों से उम्मीद रखने के बजाय स्वयं आत्मनिर्भर होना चाहिए। व्यक्ति को दूसरों से सहायता की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए; बल्कि स्वयं ही प्रकाशित होकर स्वयं की जिंदगी को उज्ज्वल बनाना चाहिए। दूसरों से छाँव की अपेक्षा रखने के बजाय स्वयं ही सायबान बनकर खुद को और दूसरों के जीवन में भी छाँव उत्पन्न करनी चाहिए।

दिल से निकले ………………… पैदा कर।
व्यक्ति की वाणी सरल, सहज और मीठी होनी चाहिए। उसके बोलने वाले शब्द दिल से निकले होने चाहिए। यदि वह इस प्रकार वाणी : का प्रयोग करेगा, तो निश्चित ही वह दूसरों की निगाहों में और दिलों में आसानी से जगह प्राप्त कर लेगा।

यहाँ हर शख्स …………………. डरता है।
कवि कहते हैं कि हर इंसान अपनी मृत्यु से सदा भयभीत रहता है। वह अपने ऊपर होनेवाले हादसों और आपदाओं से डरता रहता है। । 5. आखिर इंसान मिट्टी से बना हुआ एक खिलौना ही तो है। उसे एक दिन टूटना ही है। फिर भी वह न जाने क्यों नष्ट होने से डरता रहता है।

मेरे दिल के किसी ……………………… डरता है।
बचपन की मासूमियत सभी को प्यारी और अच्छी लगती है। उसे कोई भी भूलना नहीं चाहता। हर व्यक्ति के दिल में कहीं न कहीं बचपना छिपा रहता है। लेकिन बड़ों की दुनिया जो दुख और तकलीफों से भरी है, उसे देखकर वह अपने बचपन को कहीं न कहीं बचाए रखना चाहता । है। वह बड़ों की दुनिया के साथ बड़ा होना नहीं चाहता क्योंकि बड़ों की दुनिया में मासूमियत नहीं होती।

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शब्दार्थ :

  1. आसमान – अंबर
  2. पर – पंख
  3. सोच – विचार
  4. इतमीनान – तसल्ली , ढाढ़स
  5. जहान – संसार, जगत
  6. खुदा – ईश्वर
  7. उम्मीद – आशा, भरोसा
  8. खुद – स्वयं
  9. हादिसा – आपदा
  10. फना – नष्ट
  11. मौत – मृत्यु
  12. रिहाई – मुक्ति
  13. काबू – नियंत्रण, वश
  14. सायबान – घर के आगे छाया हेतु बनाया हुआ छप्पर
  15. जान – प्राण, जीवन
  16. सब्र – सबर, संयम, धैर्य